Madhu varma

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लेखनी कविता - अच्छा लगा - कुंवर नारायण

अच्छा लगा / कुंवर नारायण


पार्क में बैठा रहा कुछ देर तक
अच्छा लगा,
पेड़ की छाया का सुख
अच्छा लगा,
डाल से पत्ता गिरा- पत्ते का मन,
"अब चलूँ" सोचा,
तो यह अच्छा लगा...

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